Gadepalli Venkat
Thursday, 17 March 2016
न तो वो मर गयी थी
न वो डूब गयी थी
नाहि बेबस होकर
तड़प तड़प कर रो रही थी
खिन्न उदास दुखी
न न न बिलकुल न
बरसों का बंधन टूट कर
आज वो आजाद हो गयी थी
सलाखों को तोड़कर
रिहा हो गयी थी और
अपने पंखों को फैलाते हुए
उड़ गयी थी
ख़ुशी से रहेगी
अब चैन से जियेगी
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment