Sunday, 11 October 2015



युं ना खींच मुझे अपनी तरफ़ बेबस करके
की कहीं खुद से भी जुदा हो जाऊ …और तुम भी ना मिलो
मैने तुम्हे उस दिन से ओर भी ज्यादा चाहा… 
जिस दिन हमे पता चला की तूम हमारे होना नही चाहते !!!
यकीन करो मेरा ,लाख कोशिशें कर चुका हूँ मैं !
ना सीने की धड़कन रुकती है, ना तुम्हारी याद !!
वो आइना कितना खुशनसीब है,
जो रोज तुम्हारा दीदार करता है !!
क्या वफा होती है? काश तुम जान जाती ...
ना हम अके होते , ना तुम अकेली होती







1 comment: